ওয়া আলাইকুমুস-সালাম ওয়া রাহমাতুল্লাহি ওয়া বারাকাতুহু।
বিসমিল্লাহির রাহমানির রাহিম।
জবাবঃ-
আলহামদুলিল্লাহ!
আল্লাহ তা'আলা বলেন,
وَآتُوا النِّسَاءَ صَدُقَاتِهِنَّ نِحْلَةً ۚ فَإِن طِبْنَ لَكُمْ عَن شَيْءٍ مِّنْهُ نَفْسًا فَكُلُوهُ هَنِيئًا مَّرِيئًا
আর তোমরা স্ত্রীদেরকে তাদের মোহর দিয়ে দাও খুশীমনে। তারা যদি খুশী হয়ে তা থেকে অংশ ছেড়ে দেয়, তবে তা তোমরা স্বাচ্ছন্দ্যে ভোগ কর।(সূরা নিসা-০৪)
সু-প্রিয় প্রশ্নকারী দ্বীনী ভাই/বোন!
মহরের জন্য মাল হওয়া শর্ত।হজ্ব বা উমরাহ করানো কিংবা কোথাও স্থায়ীভাবে বসবাসের সুযোগ প্রদাণ মহর হিসেবে গণ্য হবে না। অর্থাৎ এগুলোকে মহর করা যাবে না।যদি কেউ এগুলোকে মহর সাব্যস্ত করে বিয়ে করে নেয়, তাহলে তার বিয়ে হয়ে যাবে এবং তার উপর মহরে মিছিল ওয়াজিব হবে।
الدر المختار وحاشية ابن عابدين (رد المحتار) (3/ 102):
"قلت: و لا بد من كونها مما يستحق المال بمقابلتها ليخرج ما يأتي من عدم صحة التسمية في خدمة الزوج الحر لها وتعليم القرآن."
الدر المختار وحاشية ابن عابدين (رد المحتار) (3/ 101):
"فيحمل المنع المذكور على الندب؛ أي ندب تقديم شيء إدخالًا للمسرة عليها تألفًا لقلبها وإذا كان ذلك معهودًا وجب حمل ما خالف ما رويناه عليه جمعًا بين الأحاديث. وهذا وإن قيل: إنه خلاف الظاهر في حديث: «التمس و لو خاتمًا من حديد»، لكن يجب المصير إليه؛ لأنه قال فيه بعده: زوجتكها بما معك من القرآن، فإن حمل على تعليمه إياها ما معه أو نفي المهر بالكلية عارض كتاب الله تعالى و هو قوله تعالى: {أن تبتغوا بأموالكم} [النساء: 24]، فقيد الإحلال بالابتغاء بالمال، فوجب كون الخبر غير مخالف له وإلا لم يقبل لأنه خبر واحد، وهو لاينسخ القطعي في الدلالة وتمام ذلك مبسوط في الفتح."
الفتاوى الهندية (1/ 303):
"و لو تزوج امرأة على طلاق امرأة له أخرى أو على دم عمد له عليها أو على أن يحج بها؛ كان لها مهر مثلها."
البحر الرائق (3/ 168):
"وأشار المصنف إلى أنه لو تزوجها على أن يحج بها وجب مهر المثل لكن فرق في الخانية بين أن يتزوجها على أن يحج بها وبين أن يتزوجها على حجة فأوجب في الأول مهر المثل وفي الثاني قيمة حجة وسط."