بسم الله
الرحمن الرحيم
জবাব,
প্রশ্নেল্লিখিত বিষয়টি নিম্নে বিস্তারিতভাবে তুলে ধরা হলো:
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إِنَّ السَّاعَةَ لا تَكُونُ حَتَّى تَكُونَ عَشْرُ آيَاتٍ خَسْفٌ بِالْمَشْرِقِ وَخَسْفٌ بِالْمَغْرِبِ وَخَسْفٌ فِي جَزِيرَةِ الْعَرَبِ وَالدُّخَانُ وَالدَّجَّالُ وَدَابَّةُ الأَرْضِ وَيَأْجُوجُ وَمَأْجُوجُ وَطُلُوعُ الشَّمْسِ مِنْ مَغْرِبِهَا وَنَارٌ تَخْرُجُ مِنْ قُعْرَةِ عَدَنٍ تَرْحَلُ النَّاسَ، ونُزُولُ عِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ...
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hgx‡bi g‡a¨ Wy‡e hvIqv), (2) cwðgw`‡K f~wgaŸm, (3) Avie DcØx‡c f~wgaŸm, (4) আকাশ
থেকে ধোঁয়া আসা (5) `v¾vj, (6) f~wgi cÖvYx, (7) BqvR~R-gvR~R, (8) cwðg w`K
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(10) gwiqg-cyÎ Cmv (Av)-Gi AeZiY|ÕÕ[gymwjg 2225 ]
এই আলামতগুলোর
ধারাবাহিকতা কী হবে সে ব্যাপারে সুস্পষ্ট সহিহ কোন দলীল পাওয়া যায় না। তবে বিভিন্ন
দলিলকে একত্রে মিলিয়ে এগুলোর ধারাবাহিকতা নির্ধারণ করা হয়ে থাকে। শাইখ উছাইমীনকে প্রশ্ন
করা হয়েছিল কেয়ামতের বড় বড় আলামতগুলো কি ধারাবাহিকভাবে আসবে?
জবাব দিতে গিয়ে
তিনি বলেন: কেয়ামতের আলামতগুলোর মধ্যে কোন কোনটির ধারাবাহিকতা জানা গেছে; আর কোন কোনটির ধারাবাহিকতা জানা যায়নি। ধারাবাহিক আলামতগুলো হচ্ছে- ঈসা বিন
মরিয়মের অবতরণ, ইয়াজুজ-মাজুজের বহিঃপ্রকাশ, দাজ্জালের আত্মপ্রকাশ।
প্রথমে দাজ্জালকে
পাঠানো হবে। তারপর ঈসা বিন মরিয়ম এসে দাজ্জালকে হত্যা করবেন। তারপর ইয়াজুজ-মাজুজ বের
হবে। এই আলামতগুলোর ধারাবাহিকতা আমাদের কাছে গুরুত্বপূর্ণ নয়। আমাদের কাছে গুরুত্বপূর্ণ
হচ্ছে- কেয়ামতের বড় বড় কিছু আলামত আছে। এগুলোর কোন একটি প্রকাশ পেলে জানা যাবে, কেয়ামত অতি সন্নিকটে। কেয়ামত হচ্ছে- অনেক বড় একটা ঘটনা। এই মহা ঘটনার নিকটবর্তিতা
সম্পর্কে মানুষকে আগেভাগে সতর্ক করা প্রয়োজন বিধায় আল্লাহ তাআলা কিয়ামতের জন্য বেশ
কিছু আলামত সৃষ্টি করেছেন।[মাজমুউ ফাতাওয়া, খণ্ড-২, ফতোয়া নং- ১৩৭]
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وَإِذَا وَقَعَ الْقَوْلُ عَلَيْهِمْ أَخْرَجْنَا لَهُمْ دَابَّةً مِنَ الْأَرْضِ تُكَلِّمُهُمْ أَنَّ النَّاسَ كَانُوا بِآَيَاتِنَا لَا يُوقِنُونَ
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(1) bex
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تَخْرُجُ الدَّابَّةُ فَتَسِمُ النَّاسَ عَلَى خَرَاطِيمِهِمْ ثُمَّ يَغْمُرُونَ فِيكُمْ حَتَّى يَشْتَرِيَ الرَّجُلُ الْبَعِيرَ فَيَقُولُ مِمَّنِ اشْتَرَيْتَهُ فَيَقُولُ اشْتَرَيْتُهُ مِنْ أَحَدِ الْمُخَطَّمِينَ
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(2) bex
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تَخْرُجُ الدَّابَّةُ مَعَهَا عَصَا مُوسَى وَخَاتَمُ سُلَيْمَانَ فَتَجْلُو وَجْهَ الْمُؤْمِنِ بِالْعَصَا وَتَخْتِمُ أَنْفَ الْكَافِرِ بِالْخَاتَمِ حَتَّى إِنَّ أَهْلَ الْخِوَانِ لَيَجْتَمِعُونَ فَيَقُولُ هَذَا يَا مُؤْمِنُ وَيَقُولُ هَذَا يَا كَافِرُ
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تَخْرُجُ الدَّابَّةُ مَعَهَا عَصَا مُوسَى وَخَاتَمُ سُلَيْمَانَ فَتَجْلُو وَجْهَ الْمُؤْمِنِ بِالْعَصَا وَتَخْتِمُ أَنْفَ الْكَافِرِ بِالْخَاتَمِ حَتَّى إِنَّ أَهْلَ الْخِوَانِ لَيَجْتَمِعُونَ فَيَقُولُ هَذَا يَا مُؤْمِنُ وَيَقُولُ هَذَا يَا كَافِرُ
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nv`xQ bs- 7924)
বিভিন্ন হাদীস
থেকে এতটুকু জানা যায় যে,
হিন্দুস্তানের চুড়ান্ত যুদ্ধ হবে দাজ্জালের আবির্ভাব ও হযরত ঈসা (আঃ) এর অবতরণের
কিছু পূর্বে এবং গাযওয়াতুল হিন্দে বিজয়ী বাহিনী যোগ দান করবেন ইমাম মাহদীর সাথে ।
হযরত আবু হুরায়রাহ রা. থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন-
وَعَدَنَا رَسُولُ اللَّهِ صلى الله
عليه وسلم غَزْوَةَ الْهِنْدِ فَإِنْ أَدْرَكْتُهَا أُنْفِقْ فِيهَا نَفْسِي
وَمَالِي فَإِنْ أُقْتَلْ كُنْتُ مِنْ أَفْضَلِ الشُّهَدَاءِ وَإِنْ أَرْجِعْ
فَأَنَا أَبُو هُرَيْرَةَ الْمُحَرَّرُ. روى النسائي ٣١٧٣ ، وأحمد ٢/٢٢٩, والحديث
ضعفه الألباني في ضعيف سنن النسائي ٢٠٢ ، ٢٠٣ . وكذلك الشيخ شعيب الأرنؤوط في
تخريجه لمسند أحمد ١٢/٢٩ , البداية والنهاية لابْنُ كَثِيرٍ: ١٩/١٠ –
‘রাসুলুল্লাহ ﷺ আমাদেরকে গাজওয়ায়ে-হিন্দ -এর ওয়াদা করেছেন। সুতরাং আমি যদি তা পেয়ে যাই, তাহলে আমি আমার
জান ও মাল (আল্লাহ’র রাস্তায়) দিয়ে দিবো। আর যদি আমাকে (ওই যুদ্ধে) কতল করে ফেলা হয়, তাহলে আমি হবো
সর্বোত্তম শহিদগণের মধ্যে একজন। আর আমি যদি (ওই জিহাদে বেঁচে) ফিরে আসি, তাহলে আমি আবু
হুরায়রাহ হবো (দোযখের শাস্তি থেকে) মুক্তিপ্রাপ্ত ’। [সুনানে নাসায়ী, হাদিস ৩১৭৩; মুসনাদে আহমদ-
২/২২৯; আল-বিদায়াহ
ওয়ান-নিহায়াহ, ইবনে
কাসির- ১০/১৯]
ইমাম নুআইম
বিন হাম্মাদ (মৃ: ২২৮ হি:) নিজ সনদে হযরত সাফওয়ান রা.-এর সূত্রে বর্ণনা করেন, তিনি বলেন-
حَدَّثَنَا الْوَلِيدُ ، حَدَّثَنَا
صَفْوَانُ بْنُ عَمْرٍو ، عَمَّنْ حَدَّثَهُ ، عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ
عَلَيْهِ وَسَلَّمَ ، قَالَ : ” يَغْزُو قَوْمٌ مِنْ أُمَّتِي الْهِنْدَ ،
يَفْتَحُ اللَّهُ عَلَيْهِمْ حَتَّى يَأْتُوا بِمُلُوكِ الْهِنْدِ مَغْلُولِينَ
فِي السَّلاسِلِ ، فَيَغْفِرُ اللَّهُ لَهُمْ ذُنُوبَهُمْ ، فَيَنْصَرِفُونَ إِلَى
الشَّامِ ، فَيَجِدُونَ عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ عَلَيْهِ السَّلامُ بِالشَّامِ ” .
رواه نعيم بن حماد في ” الفتن ” (ص/٣٩٩) قال : حدثنا الوليد ، عن صفوان بن عمرو ،
عمن حدثه عن النبي صلى الله عليه وسلم . وهذا إسناد ظاهر الضعف بسبب عنعنة الوليد
بن مسلم ، وظاهره ـ أيضا ـ الإرسال ، لأنه ليس فيه أن من حدث صفوان بن عمرو سمع
النبي صلى الله
عليه وسلم ،
ولا أنه كان صحابيا –
‘অবশ্যই আমার উম্মতের একটি গোষ্ঠি হিন্দ-এর
সাথে গাজওয়া (জিহাদ) করবে।আল্লাহ (তাআলা ওই মুজাহিদগণকে) তাদের উপর বিজয় দান করবেন।
এমনকি তারা হিন্দে’র রাষ্ট্রনায়কদেরকে শিকল দিয়ে বেঁধে নিয়ে আসবে। আল্লাহ তাদের গোনাহ
সমূহ ক্ষমা করে দিবেন। এরপর তারা শাম-এর দিকে ড়ওনা হবে। তারা শামে (গিয়ে) ঈসা ইবনে
মারইয়াম (আ.)-এর দেখা পাবে’। [আল-ফিতান, নুআইম বিন হাম্মাদ- ৩৯৯ পৃ:]
আবদুল্লাহ ইবনে
হারিস (রাঃ) থেকে বর্ণিত,
রাসূল (সাঃ) বলেছেন,
“পূর্বদিক (খোরাসান) থেকে কিছু লোক বের হয়ে আসবে, যারা ইমাম মাহদির
খিলাফত প্রতিষ্ঠায় সাহায্য করবে এবং খিলাফত প্রতিষ্ঠা সহজ করে দিবে”। [সুনানে ইবনে
মাজা, খণ্ড
৩, হাদিস
নং ৪০৮৮]
আবু সাঈদ খুদরী
(রা.) থেকে বর্ণিত,
রাসূলুল্লাহ (সা.) ইরশাদ করেছেন, মাহদী আমার বংশের হবে। তার চেহারা উজ্জ্বল
হবে। (তার দ্বারা) গোটা দুনিয়ায় ইনসাফ কায়েম হবে। যেমনিভাবে (ইতোপূর্বে) পুরো দুনিয়ায়
অন্যায় প্রতিষ্ঠা হয়েছিল। তিনি সাত বছর খেলাফতের দায়িত্ব পালন করবেন। (সুনানে আবু দাউদ
: ৪২৮৪)। হযরত আলী (রা.) থেকে বর্ণিত, তিনি বলেন, রাসূলুল্লাহ
(সা.) বলেছেন, মাহদী
আমাদের আহলে বাইত থেকে হবে। আল্লাহ তা’আলা তাকে একরাতে খিলাফতের যোগ্য করবেন। (সুনানে
ইবনে মাজাহ : ৪০৮৫)।